10 मार्च 1957 को रियाध, सउदी अरब में एक धनी परिवार में जन्मे ओसामा बिन लादेन का पूरा नाम ओसामा बिन मोहम्मद बिन अवद बिन लादेन था. वह अल कायदा नामक आतंकी संगठन का प्रमुख था. यह संगठन 9 सितंबर 2001 को अमरीका के न्यूयार्क शहर के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के साथ विश्व के कई देशों में आतंक फैलाने और आतंकी गतिविधियां संचालित करने का दोषी है.
आतंकवाद के प्रति अपने जुनून के चलते ओसामा को अपनी करोड़ों की संपत्ति और सउदी अरब की नागरिकता से भी हाथ धोना पड़ा था. वह दुनिया का सर्वाधिक चर्चित और इनामी आतंकवादी था, जिसकी अमेरिका की फ़ेडरल जाँच एजेंसी और सेना सहित समूचे पश्चिमी जगत को तलाश थी. 2001 के बाद से ओसामा अमेरिका के 'आतंक के खिलाफ युद्ध' का सबसे बड़ा निशाना था.
ओसामा बिन लादेन की शख्सियत की ही तरह उसके नाम का उच्चारण भी पश्चिमी जगत के लिए अबूझ रहा, कोई उसे ओसामा, कोई ओसमा, कोई उसामा, तो कोई उसम्माह बिन लादेन कहता रहा. जैसाकि ओसामा ने 1998 में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था, उसका जन्म सउदी अरब के एक अमीर परिवार में हुआ था.
उसके पिता का नाम मोहम्मद बिन अवद बिन लादेन था, जो सउदी अरब के शाही परिवार के करीबी थे. लादेन उनकी 10 पत्नियों के बीच एकलौती संतान ( दसवीं पत्नी से) था. ओसामा के जन्म के तुरंत बाद उसके माता-पिता के बीच तलाक़ हो गया. बाद में उसकी मां हमीदा ने मोहम्मद अल-अल्तास से शादी कर ली, जिनसे उनके 4 बच्चे हुए. ओसामा अपने इन्हीं 4 सौतेले भाई-बहनों के बीच पला.
एक मज़हबी बहावी मुसलमान की तरह उसकी परवरिश हुई. 1968 से 1976 तक उसने प्रतिष्ठित अल-थगर माडल स्कूल में पढ़ाई की. किंग अब्दुल अज़ीज यूनिवर्सिटी से उसने अर्थ शास्त्र और बिजिनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री ली. पर कुछ लोगों का कहना है कि उसे तीसरे साल विश्वविद्यालय से निकल दिया गया था.
बहरहाल सचाई चाहे जो हो, ओबामा बचपन से ही बेहद मेहनती व मज़हबी था. विश्व विद्यालय में भी उसके मुख्य रूचि मज़हब, जिहाद व क़ुरान में थी, जिसकी व्याख्या वह अपने हिसाब से करता रहता था. पढ़ाई के दौरान भी उसने लोगों की सहायता की और समय मिला तो कविताएँ भी लिखी.
1974 में 17 साल की उम्र में उसकी पहली शादी नजवा घनेम से हुई. सीएनएन के संवाददाता डेविड इन्सोरे के मुताबिक 2002 तक बिन लादेन 4 शादियों से लगभग 25-26 बच्चों का बाप बन चुका था.
बिन लादेन की मान्यता थी कि मुस्लिम जगत को शरीयत के नियमों के हिसाब से ही चलना चाहिए, और प्रजातंत्र , समाजवाद, वामपंथ आदि शरीयत की दुश्मन हैं. वह अंगरेजी, खास कर अमेरिकी सभ्यता को इसलाम के विरुद्ध मानता था. उसका मानना था की शरीयत आधारित समाज - राज की स्थापना के लिए, हथियारबंद जिहाद छेड़ा जाना चाहिए. लादेन के मुताबिक, दुनिया में मुल्ला उमर की अगुआई वाला तालिबान शासित अफ़ग़ानिस्तान मुस्लिम जगत में इस्लाम के नियमों पर चलाने वाला अकेला राज्य है.
1979 में कालेज छोड़ने के बाद वह अब्दुल्ला अज़म के साथ हो गया और अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत घुसपैठ के खिलाफ जंग में शामिल हो गया. इसके लिए कुछ समय तक वह पेशावर में भी रहा. 1984 में उसने मक्तब अल खदमत की स्थापना की, जिसका मकसद अफ़ग़ानिस्तान और दूसरी जगहों पर जिहाद के लिए लड़ रहे मुस्लिम लड़ाकों को हथियार, धन और प्रशिक्षण मुहैया करना था.
1988 में उसने मक्तब अल खिदमत को तोड़ दिया. और यह तय किया कि अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत संघ की वापसी के बाद भी इस्लाम की खिदमत में लड़ रहे मुस्लिम लड़ाकों के इस्तेमाल के लिए उसका अनुभव और धन काम आता रहेगा. कहते हैं, अल क़ायदा की स्थापना इसीलिए 11 अगस्त 1988 को हुई.
फ़रवरी 1989 में अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत सेनाओं की वापसी के बाद जब ओसामा बिन लादेन सउदी अरब लौटा, तो वह जेहाद का एक हीरो था. कहते हैं, जब 2 अगस्त 1990 को इराक़ी सेना ने कुवैत पर कब्जा कर लिया, तब लादेन ने सउदी अरब के शासकों को मदद की पेशकश करते हुए सलाह दी थी कि उसके लड़ाके सब सम्हाल लेंगे, पर सउदी अरब अमेरिकी सहायता ना ले. लादेन के मना करने के बावजूद जब अमेरिका की सेनाएं सउदी अरब में उतर गईं, तभी से उसने यह तय कर लिया कि अब आगे लड़ाई मुस्लिम जगत की धरती के परे होगी.
ओसामा ने अपने गुस्से का इज़हार करना शुरू कर दिया और सउदी अरब के शासकों और राजतंत्र के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया. नतीजतन 1992 में उसे सउदी अरब निष्कासित कर दिया गया. तब वह सूडान चला गया और वहाँ से उसने मिस्र के लड़ाकों के मदद की.
पर 1995 में मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक पर हमले के बाद अमेरिका, मिस्र और लगातार दबाव के बाद ओसामा को सूडान से भी निकल दिया गया, तब वह अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद पहुँच गया. वहाँ मुल्ला उमर के साथ मिल कर उसने दुनिया भर में हमले कराए, अपनी ताक़त मजबूत की, लड़ाके भरती किए और हथियार जुटाए. और उसके बाद 9/11, 2001 में अमेरिका में ट्वीन टॉवेर पर उसके कराए हमलों से दुनिया दहल उठी.
लगभग 10 साल के अमेरिकी प्रयासों और लड़ाई के बाद 1 मई 2011 को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने यह दावा किया कि अमेरिकी सेना ने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया है और उसका मृत शरीर अमेरिकी सेना के कब्ज़े में है.
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