जावेद अख्तर भारत के एक कवि, गीतकार और पटकथा लेखक है. उनकी सबसे सफल फ़िल्मे 1970 और 1980 के दशक मैं पटकथा लेखन सलीम खान के साथ आई थी. अख्तर बॉलीवुड में एक प्रमुख सबसे लोकप्रिय गीतकारों मैं से एक है. उनका असली नाम जादू अख़्तर था और वो ग्वेलियार मैं पैदा हुए, इनके पिता एक बॉलीवुड फिल्म गीतकार और उर्दू कवि, और गायक सफिया अख्तर, उनकी माताजी थी. जावेद अख्तर 1999 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हे चौदह बार,सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए और सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए “एक लड़की को देखा …” 1942-ए लव स्टोरी में, “घर से Nikalte हाय …” पापा Kahte हैं के लिए, “Sandese Aate हैं ….” बॉर्डर के लिए, “पंछी Nadiyan पवन के Jhonke …” रिफ्यूजी के लिए, लगान के लिए “राधा कैसे ना जले,” कल हो ना हो के लिए “कल हो ना हो”, “तेरे लिए …” वीर-जारा और जोधा अकबर के लिए “जश्न ए Bahara” के लिए.सात बार,फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया. अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई में पहुंचे. मुंबई में रहने वाले अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने रुपये के लिए एक छोटी सी फिल्म के लिए संवाद लिखने में कामयाब रहे. 100 से उन्हें पटकथा लेखक के रूप में एक नौकरी मिल गई.उन्होने फिल्म इंडस्ट्रीस के बड़े बड़े डाइरेकट्रो के साथ कम किया. अंदाज़, सीता और गीता, शोले और डॉन जैसी सफल फिल्मों उन्होने की.
Saturday, March 19, 2016
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जावेद अख्तर की जीवन कहानी – Life story of javed akhtar in Hindi
जावेद अख्तर भारत के एक कवि, गीतकार और पटकथा लेखक है. उनकी सबसे सफल फ़िल्मे 1970 और 1980 के दशक मैं पटकथा लेखन सलीम खान के साथ आई थी. अख्तर बॉलीवुड में एक प्रमुख सबसे लोकप्रिय गीतकारों मैं से एक है. उनका असली नाम जादू अख़्तर था और वो ग्वेलियार मैं पैदा हुए, इनके पिता एक बॉलीवुड फिल्म गीतकार और उर्दू कवि, और गायक सफिया अख्तर, उनकी माताजी थी. जावेद अख्तर 1999 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हे चौदह बार,सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए और सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए “एक लड़की को देखा …” 1942-ए लव स्टोरी में, “घर से Nikalte हाय …” पापा Kahte हैं के लिए, “Sandese Aate हैं ….” बॉर्डर के लिए, “पंछी Nadiyan पवन के Jhonke …” रिफ्यूजी के लिए, लगान के लिए “राधा कैसे ना जले,” कल हो ना हो के लिए “कल हो ना हो”, “तेरे लिए …” वीर-जारा और जोधा अकबर के लिए “जश्न ए Bahara” के लिए.सात बार,फिल्मफेयर पुरस्कार दिया गया. अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई में पहुंचे. मुंबई में रहने वाले अपने प्रारंभिक वर्षों में उन्होंने रुपये के लिए एक छोटी सी फिल्म के लिए संवाद लिखने में कामयाब रहे. 100 से उन्हें पटकथा लेखक के रूप में एक नौकरी मिल गई.उन्होने फिल्म इंडस्ट्रीस के बड़े बड़े डाइरेकट्रो के साथ कम किया. अंदाज़, सीता और गीता, शोले और डॉन जैसी सफल फिल्मों उन्होने की.
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